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Product Description
कन्हैया की सूफ़ी ग़ज़लें ग़ज़लगोई में जहां एक तरफ़ शिल्प है, वहीं इस विधा के समृद्ध इतिहास के न्यायोचित निर्वहन की भी चुनौतियां हैं। लेकिन इसमें अभिव्यक्ति की सुविधाएं भी हैं, उदाहरणार्थ, पूरी ग़ज़ल की ज़मीन एक ही विचार पर टिकी हो यह संभव है किन्तु अनिवार्य नहीं। फुटकर अशआर और ग़ज़ल के चंद अशआर भी पुख़्ता ख़्यालबंदी कर सकते हैं । कन्हैया की ग़ज़लें घर, मैत्री, प्रेम, बुज़ुर्गों की नेकनीयत, सूफ़ीपन और विस्तार का अवलोकन जहां-तहां करती हैं। इसमें प्रेम उर्दू के शब्दों की तरह इधर-उधर करीने और खूबसूरती से छिड़का गया है, लेकिन यारबाशी, गुज़रे ज़माने, नसीहत भी रह-रहकर अशआर में नमूदार होते रहते हैं। इन ग़ज़लों में भाषा, शिल्प और कथन को लेकर कोई ज़िद नहीं है, ये सहज हैं और सरल, मानो कोई बटोही जीवन के रहस्य और अनुभव गुनगुनाते हुए सहसा ही लोगों से साझा करता जा रहा हो। संग्रह में सूफ़ीपन की मिठास है। -निशांत कौशिक युवा कवि नश्वर तन को तजकर निर-आकार हो गये ‘कन्हैया’ वजूद मिट गया दिल मानता नहीं
Product Details
Title: | Aur Fir Deewangi (Hindi) |
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Author: | Kanhaiyalal Tamrakar |
Publisher: | Sarvatra An Imprint Manjul Publishing House |
ISBN: | 9789355431769 |
SKU: | BK0471005 |
EAN: | 9789355431769 |
Number Of Pages: | 116 pages |
Language: | Hindi |
Binding: | Paperback |
Reading age : | 18 years and up |
Release date: | 15 December 2022 |