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Bulleshah Aur Innercircle : Mulaqat Swayam Ki Swayam Se

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Description

आप वहीं हो, जहाँ आपको होना चाहिए... वह बिना ढूँढे तो मिलता नहीं, पर ढूँढने से भी नहीं मिलता। जो अ... Read More

Product Description

आप वहीं हो, जहाँ आपको होना चाहिए... वह बिना ढूँढे तो मिलता नहीं, पर ढूँढने से भी नहीं मिलता। जो अच्छे से जानते है, जो अनुभवी हैं, वे कहते हैं - जब ढूँढते-ढूँढते ढूँढने वाला थक जाता है, असहाय हो जाता है, सब छोड़ देता है - अधिक अच्छा होगा यह कहना की छूट जाता है - तो वह अपने-आपको वहीं पाता है, जहाँ वह वस्तुतः है। ढूँढा उसे जा सकता है, जो खो गया हो; पाया उसे जा सकता है, जो अन्य हो, जो पर हो। जो खोया नहीं, उसे ढूँढा नहीं जा सकता; जो है ही, उसे पाया नहीं जा सकता। स्वयंता स्वयं को खो भी कैसे सकती है। और स्वयंता स्वयं को पा भी कैसे सकती है! खोजा अथवा पाया वही जा सकता है, जो पर हो, जो अन्य हो। अनन्य को खोजा तो नहीं जा सकता है, जो पर हो, जो अन्य हो। अनन्य को खोजा तो नहीं जा सकता, पर अनन्य हुआ जा सकता है। जो है, वह वस्तुतः अनन्य है; उसमें परता लेश मात्र भी नहीं है। इसलिए कहते हैं - वह वहीं है, जहाँ हम वस्तुतः है।

Product Details

Title: Bulleshah Aur Innercircle : Mulaqat Swayam Ki Swayam Se
Author: whosoever
ISBN: 9788192461250
SKU: BK0372816
EAN: 9788192461250
Place of Publication: India
Binding: Paperback

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