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Devlok Devdutt Pattanaik Ke Sang

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Description

EPIC चैनल के बेहद लोकप्रिय टेलीविजष्न कार्यक्रम के पहले सीजष्न पर आधारित पौराणिक कथाओं की अद्भुत ... Read More

Product Description

EPIC चैनल के बेहद लोकप्रिय टेलीविजष्न कार्यक्रम के पहले सीजष्न पर आधारित पौराणिक कथाओं की अद्भुत दुनिया की सैर करें, देवदत्त पटनायक के संग किताब के बारे में:

• क्यों लगभग सारे मंदिर, विष्णु, शिव या देवियों को समर्पित होते हैं, पर ब्रह्म या इन्द्र को नहीं ?
• असुरों, राक्षसों, यक्षों और पिशाचों में क्या अंतर होता है ?
• पाण्डव स्वर्ग जाने के बजाय नर्क कैसे पहुँच गए ?

कई महीनों से म्च्प्ब् चैनल का अभूतपूर्व कार्यक्रम
Devlok with Devdutt Pattanaik
अनगिनत दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर चुका है । अब प्रस्तुत है
यह किताब जो इस लोकप्रिय कार्यक्रम के पहले सीजष्न पर आधारित है और जो आपको अनगिनत कहानियों, चिह्नों और अनुष्ठानों के माध्यम से एक ऐसी अद्भुत यात्रा पर ले जायेगी जो हिन्दु सभ्यता की नींव है ।

तो तैयार हो जाइये आश्चर्यचकित और रोमांचित होने के लिये । देवदत्त सुनाते हैं ऐसी मंत्रमुग्ध कर देने वाली कहानियाँ देवी, देवताओं, अवतारों और असुरों की, कि आपको लगेगा आपको इनके बारे में पता नहीं था ।

जानिये हिंदु विचारधारा की सुक्ष्मताओं को जिनसे वे बताते हैं मिथक की उत्पत्ति और अर्थ के बारे में । वे यह भी बताते हैं कि क्यों हम समय के रेखाकार होने पर विश्वास नहीं करते और ये मानते हैं कि समय चक्रीय होता है ।
यह किताब हमेशा मोहने वालो हिंदु मिथकों को जानने के लिए एक उत्तम प्रस्तुति है ।

Product Details

Title: Devlok Devdutt Pattanaik Ke Sang
Author: Devdutt Pattanaik
Publisher: Penguin Random House India
ISBN: 9780143427988
SKU: BK0033978
EAN: 9780143427988
Language: Hindi
Binding: Paperback
Reading age : All Age Groups

About Author

Devdutt Pattanaik writes, illustrates and lectures on the relevance of mythology in modern times. He has written more than thirty books and is a public speaker, leadership coach and management theorist. He has written the introductory essay in this book and has been a consultant to the entire project. Jerry Johnson is the editor of this book and has written the chapters on Hinduism and Buddhism and edited the chapters on Jainism and Sikhism.

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