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Julius Caesar Us Rp1 C

Release date: 01 January 2007
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आसान दीखनेवाली मुश्किल कृति हमारा शहर उस बरस में साक्षात्कार होता है एक कठिन समय की बहुआयामी और उ... Read More

Product Description

आसान दीखनेवाली मुश्किल कृति हमारा शहर उस बरस में साक्षात्कार होता है एक कठिन समय की बहुआयामी और उलझाव पैदा करनेवाली डरावनी सच्चाईयों से । बात ‘उस बरस’ की है, जब ‘हमारा शहर’ आए दिन सांप्रदायिक दंगों से ग्रस्त हो जाता था । आगजनी, मारकाट और तद्जनित दहशत रोजमर्रा का जीवन बनकर एक भयावह सहजता पाते जा रहे थे । कृत्रिम जीवन शैली का यों सहज होना शहरवासियों की मानसिकता, व्यक्तित्व, बल्कि पूरे वजूद पर चोट कर रहा था । बात दरअसल उस बरस भर की नहीं है । उस बरस को हम आज में भी घसीट लाये हैं । न ही बात है सिर्फ हमारे शहर की । ‘और शहरों जैसा ही है हमारा शहर’ – सुलगता, खदकता-‘स्रोत और प्रतिबिम्ब दोनों ही’ मौजूदा स्थिति का । एक आततायी आपातस्थिति, जिसका हल फ़ौरन ढूंढना है; पर स्थिति समझ में आए, तब न निकले हल । पुरानी धारणाए फिट बैठती नहीं, नई सूझती नहीं, वक्त है नहीं कि जब सूझें, तब उन्हें लागू करके जूझें स्थिति से । न जाने क्या से क्या हो जाए तब तक । वे संगीने जो दूर है उधर, उन पर मुड़ी, वे हम pa भी न मुद जाएँ, वह धुल-धुआं जो उधर भरा है, इधर भी न मुद आए । अभी भी जो समझ रहे हैं कि दंगे उधर हैं-दूर, उस पार, उन लोगों में-पाते हैं कि ‘उधर’ ‘इधर’ बढ़ आया है, ‘वे’ लोग ‘हम’ लोग भी हैं, और इधर-उधर वे-हम करके खुद को झूठी तसल्ली नहीं दी जा सकती । दंगे जहाँ हो रहे हैं, वहां खून बह रहा है । सो, यहाँ भी बह रहा है, हमारी खाल के नीचे । अपनी ही खाल के नीचे छिड़े दंगे से दरपेश होने की कोशिश हेई इस गाथा का मूल । खुद को चीरफाड़ के लिए वैज्ञानिक की मेज पर धर देने जैसा । अपने को नंगा करने का प्रयास ही अपने शहर को समझने, उसके प्रवाहों को मोड़ देने की एकमात्र शुरुआत हो सकती है । यही शुरुआत एक जबरदस्त प्रयोग द्वारा गीतांजलिश्री ने हमारा शहर उस बरस में की है । जान न पाने की बढती बेबसी के बीच जानने की तरफ ले जाते हुए ।

Product Details

Title: Julius Caesar Us Rp1 C
Author: Geetanjali Shree
Publisher: Rajkamal Prakashan
ISBN: 9789380741802
SKU: BK0420539
EAN: 9789380741802
Language: Hindi
Place of Publication: India
Binding: Paperback
Release date: 01 January 2007

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