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Product Description
हिंदी के प्रसिद्ध सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित पुस्तक ‘पद्मावत’ पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल की प्रमाणिक टिप्पणी| हिंदी के प्रसिद्ध सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी द्वारा रचित प्रस्तुत पुस्तक ‘पद्मावत’ एक प्रेमाख्यान है जिसमें प्रेम साधना का सम्यक प्रतिपादन किया गया है| इसमें प्रेमात्मक इतिवृति की रोचकता है, गंभीर भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति व उदात्त चरित्रों का विषद चित्रण है| सिंहल द्वीप के राजा गंधर्वसेन की पुत्री पद्मावती परम सुन्दरी थी और उसके योग्य वर कहीं नहीं मिल रहा था| पद्मावती के पास हीरामन नाम का एक तोता था, जो बहुत वाचाल एवं पंडित था और उसे बहुत प्रिय था| पद्मावती के रूप एवं गुणों की प्रशंसा सुनते ही राजा रतनसेन उसके लिए अधीर हो उठे और उसे प्राप्त करने की आशा में जोगी का वेश धारण कर घर से निकल पड़े| सिंहल द्वीप में पहुंचकर रजा रतनसेन जोगियों के साथ शिव के मंदिर में पद्मावती का ध्यान एवं नाम जाप करने लगे| हीरामन ने उधर यह समाचार पद्मावती से कह सुनाया, जो राजा के प्रेम से प्रभावित होकर विकल हो उठी| पंचमी के दिन वह शिवपूजन के लिए उस मंदिर में गयी, जहाँ उसका रूप देखते ही रजा मूर्छित हो गया और वह उसे भलीभांति देख भी नहीं सका| जागने पर जब वह अधीर हो रहे थे, पद्मावती ने उन्हें कहला भेजा की दुर्ग सिंहलगढ़ पर चढ़े बिना अब उससे भेंट होना संभव नहीं है| तदनुसार शिव से सिद्धि पाकर रतनसेन उक्त गढ़ में प्रवेश करने की चेष्टा में पकड़ लिए गए और उन्हें सूली की आज्ञा दे दी गई| अंत में जोगियों द्वारा गढ़ के घिर जाने पर शिव की सहायता से उस पर विजय हो गयी और गंधर्वसेन ने पद्मावती के साथ रतनसेन का विवाह कर दिया| विवाहोपरांत रजा रतनसेन चित्तौड़ लौट आये और सुखपूर्वक रानी पद्मावती के साथ रहने लगे|दूसरी तरफ बादशाह अलाउद्दीन रानी पद्मावती के रूप-लावण्य की प्रशंसा सुनकर मुग्ध हो जाते हैं और विवाह करने को आतुर हो उठे| इसके बाद राजा रतनसेन से मित्रता कर छलपूर्वक उन्हें मरवा दिया| पति का शव देखकर रानी पद्मावती सती हो गईं| अंत में जब बादशाह अलाउद्दीन अपनी सेना के साथ चित्तौरगढ़ पहुँचते हैं तो रानी पद्मावती की चिता की राख देखकर दुःख एवं ग्लानि का अनुभव करते हैं| इस महाकाव्य में प्रेमतत्व विरह का निरूपण तथा प्रेम साधना का सम्यक प्रतिपादन तथा सूक्तियों, लोकोक्तियों, मुहावरे तथा कहावतों का प्रयोग बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है|जब पाठक इस बेजोड़ एवं सशक्त प्रेमाख्यान को पढना शुरू करेंगे तो अंत तक पढ़ने को विवश हो जायेंगे|
Product Details
Title: | Padmavat |
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Author: | Malik Muhammad Jaysi |
Publisher: | Lokbharti Prakashan |
ISBN: | 9789386863423 |
SKU: | BK0410466 |
EAN: | 9789386863423 |
Number Of Pages: | 482 pages |
Language: | Hindi |
Place of Publication: | India |
Binding: | Paperback |
Release date: | 12 January 2017 |