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Ruktapur

Release date: 09 January 2020
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Description

यह किताब एक सजग-संवेदनशील पत्रकार की डायरी है, जिसमें उसकी ‘आँखों देखी’ तो दर्ज है ही, हालात का त... Read More

Product Description

यह किताब एक सजग-संवेदनशील पत्रकार की डायरी है, जिसमें उसकी ‘आँखों देखी’ तो दर्ज है ही, हालात का तथ्यपरक विश्लेषण भी है। यह दिखलाती है कि एक आम बिहारी तरक्की की राह पर आगे बढ़ना चाहता है पर उसके पाँवों में भारी पत्थर बँधे हैं, जिससे उसको मुक्त करने में उस राजनीतिक नेतृत्व ने भी तत्परता नहीं दिखाई, जो इसी का वादा कर सत्तासीन हुआ था। आख्यानपरक शैली में लिखी गई यह किताब आम बिहारियों की जबान बोलती है, उनसे मिलकर उनकी कहानियों को सामने लाती है और उनके दुःख-दर्द को सरकारी आँकड़ों के बरअक्स रखकर दिखाती है। इस तरह यह उस दरार पर रोशनी डालती है जिसके एक ओर सरकार के डबल डिजिट ग्रोथ के आँकड़े चमचमाते दावे हैं तो दूसरी तरफ वंचित समाज के लोगों के अभाव, असहायता और पीड़ा की झकझोर देने वाली कहानियाँ हैं। इस किताब के केन्द्र में बिहार है, उसके नीति-निर्माताओं की 73 वर्षों की कामयाबी और नाकामी का लेखा-जोखा है, लेकिन इसमें उठाए गए मुद्दे देश के हरेक राज्य की सचाई हैं। सरकार द्वारा आधुनिक विकास के ताबड़तोड़ दिखावे के बावजूद उसकी प्राथमिकताओं और आमजन की जरूरतों में अलगाव के निरंतर बने रहने को रेखांकित करते हुए यह किताब जिन सवालों को सामने रखती है, उनका सम्बन्ध वस्तुत: हमारे लोकतंत्र की बुनियाद है। यह किताब बदलाव के दौर में बिहार के लगातार पिछड़ने की कहानी कहती है। बाढ़-सुखाड़, सरकारी व्यवस्था की बदहाली, जमीन पर हक का सवाल, शिक्षा की अव्यवस्था, बेरोजगारी, पलायन आदि कई मुद्दों के जरिए यह जमीनी हकीकत को जिस तरह सामने रखती है, उससे न केवल नीति-निर्माताओं की नाकामी बेपर्द हो जाती है, बल्कि विकास की उस अवधारणा पर भी सवाल उठ खड़े होते हैं, जो वंचितों के जीवन को बेहतर करने के बजाय उनकी मुश्किलों को आँकड़ों की बाजीगरी से ढकता रहता है।

Product Details

Title: Ruktapur
Author: Pushyamitra
Publisher: Rajkamal Prakashan/ Sarthak
ISBN: 9789389598674
SKU: BK0458924
EAN: 9789389598674
Number Of Pages: 240 pages
Language: Hindi
Place of Publication: India
Binding: Paperback
Release date: 09 January 2020

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