Product Description
विभाजन के बाद से ही भारत की हर सीमा पर घुसपैठ की कोशिशें होती रही हैं, पर भारतीय सशस्त्र बल के जांबाज़ों ने हर उस कोशिश को नाकाम कर दिखाया है। लोगों के ज़ेहन में युद्धों की यादें तो रह जाती हैं, पर जिन निडर वीरों ने अपनी जान की परवाह न करते हुए इन्हें लड़ा और हमें सुरक्षित रखा, अक्सर हम उन्हीं को भूल जाते हैं। सन 1947 में आज़ादी के बाद कश्मीर में लड़ी गई ‘पहली लड़ाई’ में मेजर सोमनाथ शर्मा (परमवीर चक्र), कर्नल रंजीत राय (महावीर चक्र), ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान (महावीर चक्र); सन 1962 में रेजांग ला में चीन के साथ हुए युद्ध में मेजर शैतान सिंह (परमवीर चक्र) तथा 1965 के ‘ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम’ में हवलदार अब्दुल हमीद (परमवीर चक्र) ने देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी।सन 1971 में बांग्लादेश में लड़े गए ‘हिली युद्ध’ में कर्नल शमशेर सिंह (महावीर चक्र) और ‘बसंतर युद्ध’ में लेफ्टिनेंट अरुण खेत्रपाल (परमवीर चक्र); सन 1987 में ‘सियाचिन पर कब्ज़े की लड़ाई’ में हवलदार बाना सिंह (परमवीर चक्र), ‘शांति सेना’ के मेजर गणपति (महावीर चक्र); 1999 में लड़े गए ‘करगिल युद्ध’ में कैप्टन विक्रम बत्रा (परमवीर चक्र) ने भी युद्ध के मैदान में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया। भारत द्वारा लड़े गए युद्धों के ऐसे कई वीर जवानों की गाथाओं को इस किताब में काफी शोध और अलग-अलग सूत्रों से सूचनाएं एकत्र कर वर्णित किया गया है।आज जब स्वतंत्र भारत 75वें वर्ष में कदम रख रहा है, यह किताब उन वीर सपूतों के प्रति श्रद्धांजलि स्वरूप है जिन्होंने अपनी जान न्योछावर कर भारतीय सेना के इतिहास में अपनी जगह बनाई और उसे गौरवान्वित किया। इसके अध्यायों में तमाम बारीक ब्योरे और युद्धों की विवेचना भी है।
Product Details
Author: | Sheodan Lt Col. Singh |
---|---|
Publisher: | Eka |
ISBN: | 9789390679751 |
SKU: | BK0429458 |
EAN: | 9789390679751 |
Number Of Pages: | 152 |
Language: | Hindi |
Binding: | Paper Back |
Reading age : | All |