Product Description
एक बार असुर रावण का दुस्साहस और दूसरी बार अयोध्यावासियों की ओछी सोच सीता को उनके आराध्य राम से पृथक करने का कारण बनी। लेकिन क्या यह सत्य है कि सीता राम से विलग हुई थीं? कदापि नहीं. सत्य यह है कि सीता और राम सदैव एक-दूसरे के कर्म और वाणी में रहे। विशेषत: सीता का विलक्षण जीवन और कार्य युगों से भारतीयों को राह दिखाते आये हैं। दिन-प्रतिदिन के उतार-चढ़ावों, संकटों, झंझावातों और असंतोष में केवल सीता-राम ही शाश्वत शांति प्रदान करते हैं। लेखक इस पुस्तक के माध्यम से वैदेही के जीवन के उन पहलुओं को विस्तार से सामने लाते हैं, जिन्हें लेकर आमजन प्राय: प्रश्नों से घिरा रहा है। वह सीता में अंतर्निहित उस अबूझ लीला को प्रकट करते हैं, जो त्रेता से लेकर कलियुग तक के मानवों की जिज्ञासा संतुष्ट करती है। वे बड़े नाटकीय, यद्यपि सहज भाव से बताते हैं कि सीता का जीवन किस तरह ज्ञान, दर्शन और चरित्र की त्रिवेणी में नहाया हुआ है। जानकी का बाह्य जितना आकर्षक और चुंबकीय है, उनका अंतर उससे सहस्र गुना निर्मल और पवित्र है। सीता के चिंतन में निहित भारत की आध्यात्मिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक चेतना को ही यह कथा प्रतिबिम्बित करती है।
Product Details
Title: | Garbh Yoddha (Hindi) [Paperback] Shrivastav Sanjay |
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Author: | Sanjay Srivastava |
Publisher: | Manjul Publishing House Pvt.Ltd. |
ISBN: | 9789391242190 |
SKU: | BK0454610 |
EAN: | 9789391242190 |
Number Of Pages: | 200 |
Language: | Hindi |
Binding: | Paper Back |
Reading age : | All |