Product Description
ग़ज़ल के साथ या ज़िन्दगी के साथ जो भी गुफ़्तगु हुई वो ग़ज़ल की शक्ल में ढल गई। ‘ग़ज़ल जाग रही है’ ऐसी ही ग़ुफ्तगु का सफ़र है जिसमें हर बार एक नया ही जीने का ऩजरिया बन पड़ा है। हर बार नई बात या नई सोच से पुराने एहसासों को पिरोया गया है।
Product Details
Title: | Ghazal Jaag Rahi Hai (Hindi) |
---|---|
Author: | Madan Moham Upadhyay |
Publisher: | Manjul Publishing House |
SKU: | BK0515516 |
EAN: | 9789355430212 |
Number Of Pages: | 254 |
Language: | Hindi |
Binding: | Paper Back |
Reading age : | All |